SINGRAULI : अदाणी फाउंडेशन द्वारा कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत सरई तहसील के धिरौली एवं सुलियारी परियोजना क्षेत्र के आसपास स्थित 18 गांवों में ग्रामीण आजीविका को मजबूत करने के लिए ‘गौ समृद्धि परियोजना’ संचालित की जा रही है। बायफ (भारतीय एग्रो इंडस्ट्रीज फाउंडेशन) के सहयोग से चल रही इस पहल के माध्यम से धिरौली के पशुधन विकास केंद्र में महिला पशुपालकों को निःशुल्क प्रशिक्षण देकर सशक्त बनाया जा रहा है।
धिरौली, फाटपानी, भलया टोला, खनुआ खास, खनुआ नया, जत्था टोला, झलरी, आमडांड, अमरई खोह, बजौड़ी, सिरसवाह, मझौलीपाठ, बेलवार, बासी बेरदहा, जमगड़ी और डोंगरी जैसे गांवों की 400 महिला पशुपालक अब तक परियोजना से जुड़ चुकी हैं। इस वर्ष 100 और महिलाओं को इससे जोड़कर उनके जीवन स्तर में सुधार लाने का लक्ष्य तय किया गया है।
नस्ल सुधार से बढ़ रही दुधारू क्षमता
नवंबर 2024 से चल रही इस परियोजना ने किसानों और महिला पशुपालकों में उल्लेखनीय बदलाव लाए हैं। कृत्रिम गर्भाधान की वैज्ञानिक तकनीक के माध्यम से देशी नस्ल की गायों और भैंसों को साहीवाल, गिर, जर्सी, होल्स्टियन फ्रीजियन तथा भैंसों में मुर्रा जैसी उन्नत नस्लों में विकसित किया जा रहा है।
अब तक 400 किसानों के 500 पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान किया जा चुका है, जिनसे लगभग 200 उन्नत दुधारू संतानों की उम्मीद है। इन पशुओं का अनुमानित बाजार मूल्य लगभग एक करोड़ रुपये आंका गया है। साथ ही पशु आहार, स्वास्थ्य और आवास प्रबंधन पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। ग्रामीणों को क्लासरूम प्रशिक्षण के माध्यम से वैज्ञानिक डेयरी प्रबंधन, चारा उत्पादन और आधुनिक पशुपालन तकनीक सिखाई जा रही है।
महिला पशुपालकों के लिए विशेष पहल
बेहतर आहार व्यवस्था के लिए नेपियर BNH-11 घास की खेती पर निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह हाइब्रिड चारा फसल उच्च उत्पादन और पोषण दोनों में लाभकारी है। इसके अलावा, पशुओं की सेहत सुधारने के लिए खनिज मिश्रण, प्राथमिक उपचार बॉक्स और घरों में सूचना डिस्प्ले बोर्ड उपलब्ध कराए गए हैं, जिससे महिलाएँ पशुपालन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकें।

रोग-निरोधक टीकाकरण और स्वास्थ्य शिविर
अदाणी फाउंडेशन और बायफ द्वारा नियमित रूप से पशु स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जाते हैं, जिनमें टीकाकरण, बांझपन निवारण, स्वास्थ्य परीक्षण व उपचार की सुविधाएँ दी जाती हैं। तकनीकी सुझावों और नियमित निगरानी से ग्रामीणों में पशुपालन के प्रति जागरूकता और रुचि तेजी से बढ़ी है।
शैक्षणिक भ्रमण और आर्थिक सशक्तिकरण
परियोजना के तहत प्रगतिशील किसानों को विभिन्न अनुसंधान संस्थानों का शैक्षणिक भ्रमण कराया गया, जहां उन्होंने आधुनिक पशुपालन तकनीकों का प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त किया। कई महिला समूह अब डेयरी आधारित लघु उद्यम शुरू कर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। अब तक 18 उन्नत दुधारू पशु तैयार किए जा चुके हैं, जिनकी भविष्य में प्रति पशु बाजार कीमत 10 लाख रुपये तक होने की संभावना है।
400 से अधिक किसानों को सीधे लाभ पहुँचा है और बड़ी संख्या में महिलाएं आजीविका के नए अवसर प्राप्त कर रही हैं। ग्रामीणों ने अदाणी फाउंडेशन, बायफ और पशु चिकित्सा विभाग सिंगरौली का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस परियोजना ने न केवल उनके पशुओं की नस्ल सुधारी है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने की राह भी दिखाई है।






