अदाणी फाउंडेशन के सहयोग से महिलाओं के बीच उनकी आजीविका के लिए स्थानीय कलाओं को मिला बढ़ावा

By: राजेश कुमार सिंह

On: Tuesday, September 9, 2025 2:13 PM

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SINGRAULI : सरई तहसील अंतर्गत धिरौली एवं सुलियारी परियोजना के पड़ोस के गांवों में अदाणी फाउंडेशन द्वारा बिहार में नेपाल की सीमा से सटे इलाकों की लुप्त होती मनमोहक सिक्की कला को पुनर्जीवित करने की कोशिश की जा रही है। सिक्की कला से बननेवाली कलाकृतियाँ न केवल बेहद खूबसूरत होती हैं, बल्कि महिलाओं को स्वरोजगार भी उपलब्ध कराने में सक्षम है।

इस दिशा में अदाणी फाउंडेशन द्वारा आसपास के गांवों अमरईखोह, आमडांड़, बजौड़ी एवं झलरी की 30 महिलाओं और लड़कियों को बिहार के सिक्की आर्ट के मशहूर कलाकार दिलीप कुमार एवं उनकी टीम के द्वारा निःशुल्क प्रशिक्षित किया गया है। जल्द ही 60 अन्य महिलाओं और लड़कियों को प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में पहल किया जायेगा।

अदाणी फाउंडेशन के सहयोग से महिलाओं के बीच उनकी आजीविका के लिए स्थानीय कलाओं को मिला बढ़ावा
अदाणी फाउंडेशन के सहयोग से महिलाओं के बीच उनकी आजीविका के लिए स्थानीय कलाओं को मिला बढ़ावा

कलाकारों की जीवन शैली में बदलाव और पहचान दिलाने के लिए अदाणी फाउंडेशन द्वारा ‘साथ बढ़ो’ कार्यक्रम के माध्यम से भारत के हर कोने से बनाई जा रही आर्ट को पहचान एवं सम्मान देने के कार्य किया जा रहा है। मध्य प्रदेश का यह क्षेत्र सिक्की कलाकारों के लिए वरदान साबित हो रहा है। सिक्की कला से पारंपरिक वस्तुओं के साथ-साथ कई तरह की आकृतियाँ बनती हैं,

जिनमें देवी-देवताओं, पक्षियों, जानवरों, खिलौनों, गुड़ियों, टोकरियों, डिब्बों और अन्य सजावटी वस्तुएँ शामिल हैं। इस कला का उपयोग करके सजावटी उत्पाद के साथ डलिया, डगरा, छितनी, मौनी समेत कई प्रकार के सामान को बेहतर नक्काशी के साथ तैयार किया जाता है। सिक्की कला में घास के सुनहरे रेशों को सजावटी वस्तुओं में बुनना शामिल है। विलुप्त होने के कगार पर पहुँच चुके इस कला को अदाणी फाउंडेशन की टीम के द्वारा इसे पुनर्जीवित करने का प्रयास किया गया है।

अदाणी फाउंडेशन के सहयोग से महिलाओं के बीच उनकी आजीविका के लिए स्थानीय कलाओं को मिला बढ़ावा
अदाणी फाउंडेशन के सहयोग से महिलाओं के बीच उनकी आजीविका के लिए स्थानीय कलाओं को मिला बढ़ावा

उल्लेखनीय है कि प्रशिक्षित स्थानीय महिलाऐं एवं लड़कियां को अपने हुनर से घर बैठे प्रति महीने 8,000 रुपये तक की आमदनी हो जाती है जिससे वो अपनी पारिवारिक जरूरतों को पूरा कर पाती हैं।

इस आर्ट की खूबसूरती एवं प्राकृतिक जुड़ाव के कारण इसकी अच्छी मांग है जो स्थानीय महिलाओं के आय के स्रोत रूप में उपयोगी हो रहा है। सिक्की कला का प्रशिक्षण ले रही महिलाऐं अब मांग के मुताबिक काम भी करने लगी हैं जिससे उनकी बुनियादी जरूरतें पूरी हो रही है। अदाणी फाउंडेशन द्वारा उनके हस्तशिल्प बेचने के लिए बाजार भी उपलब्ध करवाया जा रहा है। यहां के बने सामान स्थानीय बाजार के अलावा राज्य के अन्य शहरों में भेजने की योजना है।

ऐसी कला में अब उच्च संभावनाएं देखी जा रही हैंl आसपास के गांवों में अदाणी फाउंडेशन द्वारा कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत स्थानीय महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने, स्वरोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षण के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

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